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मेरी पतझड़ सी जिंदगी में शायराना मौसम हो तुम,
अकेलेपन के दर्द का मरहम हो तुम,
पुकारना चाहु कभी, तो पहेली पुकार हो तुम,
टूटी तो बहूत में , लेकिन फिर से फेविस्टिक का काम करने वाले हो तुम,
कुछ भी न हो के मेरे  बहोत कुछ हो तुम,
अब दुबारा मत पूछना मुजे के मेरे कोन हो तुम.